GIG WORKERS ई-श्रम पोर्टल -जोमैटो स्विग्गी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे फ्लिपकार्ट अमेजॉन आदि पर काम करने वाले गीग वर्कर को लेकर सरकार ने सुध ली है । सरकारी की तरफ से अच्छी खबर यह है कि ऐसे प्लेटफार्म पर काम करने वाले वर्कर्स को सोशल सिक्योरिटी देने उपाय करने के लिए ए-श्रम पोर्टल पर इनका रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा ।
मुख्य रूप से अस्थाई रूप से काम करने वाले खाने पीने की चीजे डिलीवरी करने वाले टैक्सी कैब चलने वाले ड्राइवर ऐसे ही अस्थाई रूप से काम करने वाले वर्कर को लेकर सरकार ने मीटिंग की है ।
मीडिया खबरों के अनुसार रविवार को लेबर मिनिस्टर मनसुख मांडवीया ने बताया कि मुख्य रूप से सर्विस सेक्टर में अस्थाई तौर पर काम करने वालों एवं खाने पीने की चीजे सहित दूसरी वस्तु की डिलीवरी करने वालों को गीगवर्कर कहा जाता है । इनको सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट दिलाने के लिए सामाजिक सुरक्षा के कदमों को लागू करने के लिए ए-श्रम पोर्टल पर इनका रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा ।
जिग और प्लेटफार्म कर्मी की अपॉइंटमेंट करने वाली कंपनियां यानी कि एग्रीगेटर (स्विगी, जोमेटो ) को कहा है कि इस प्लेटफार्म पर अपने वर्कर्स का रजिस्ट्रेशन करने में अगुवाई करें । इसके लिए एग्रीगेटर को एक ऑनलाइन विंडो देने की बात कही गई है । जिससे उनकी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न ना हो ।
आगे मांडवीया ने बताया कि हमारी सरकार गीत और प्लेटफार्म कर्मी की कल्याण के लिए पूरी तरीके से प्रतिबद्ध है यह हमारी वर्कफोर्स का महत्वपूर्ण अंग है ।
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में एशिया प्रशांत क्षेत्र में 56% गिग वर्कर काम करते हैं ।
गिग इकोनामी के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है भारत में बहुत सारे लोग इस विषय पर निर्भर है । कई संगठनों एवं मीडिया एप्लीकेशन बेस ड्राइवर और डिलीवरी बॉय 10 घंटे से 12 घंटे तक काम करते हैं और कहीं तो 15 -15 घंटे भी कार्य करते हैं फिर भी इनकी आमदनी में फर्क देखने को नहीं मिलता है ऑस्टिन 10,000से 15,000 रुपए तक की कमाई अपना गुजारा करते हैं ।
वाकई में सरकार को इन लोगों पर ध्यान देने की जरूरत है सोशल सिक्योरिटी के साथ पहचान भी मिल सके ।