राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला: अब 16 साल की उम्र में मिल सकेगी अनुकंपा नियुक्ति

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राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने एक ऐसा निर्णय लिया है जो हजारों सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को सीधा लाभ देगा। अब अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए 18 साल की उम्र का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। राज्य सरकार ने यह नियम बदलकर इसे 16 वर्ष कर दिया है, जिससे आश्रित परिवारों को जल्दी राहत मिल सकेगी।

क्या होता है अनुकंपा नियुक्ति?

अनुकंपा नियुक्ति का मतलब है कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाए, तो उसके परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाती है ताकि परिवार आर्थिक संकट में न फंसे। यह नियम सामाजिक संवेदनशीलता के आधार पर लागू किया गया है।

क्या था पुराना नियम?

अब तक यह प्रावधान था कि मृत सरकारी कर्मचारी के बेटे या बेटी को तभी अनुकंपा नियुक्ति मिल सकती थी जब उनकी उम्र 18 वर्ष हो जाए। इसका मतलब यह था कि अगर बच्चा नाबालिग है तो परिवार को तब तक इंतज़ार करना पड़ता था जब तक वह वयस्क न हो जाए।

अब क्या हुआ बदलाव?

राज्य सरकार ने यह अहम फैसला लिया है कि अब अनुकंपा नियुक्ति के लिए न्यूनतम आयु 16 वर्ष होगी। यानी अब मृतक कर्मचारी के आश्रित बेटे या बेटी को 16 साल की उम्र में भी सरकारी नौकरी मिल सकेगी।

90 दिन के अंदर आवेदन जरूरी

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कर्मचारी की मृत्यु के 90 दिनों के भीतर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन करना अनिवार्य होगा। इस अवधि के बाद प्राप्त आवेदनों को अमान्य माना जाएगा। आवेदन करते समय सभी आवश्यक दस्तावेज़ साथ लगाना जरूरी है।

किन्हें मिलेगी प्राथमिकता?

अनुकंपा नियुक्ति में सबसे पहले मृत कर्मचारी की पत्नी या पति को प्राथमिकता दी जाएगी। यदि वे पात्र नहीं हैं, तो बेटे या बेटी को यह नियुक्ति दी जा सकती है। पहले अगर बेटा-बेटी अवयस्क होते थे तो उन्हें 18 वर्ष तक इंतज़ार करना पड़ता था, लेकिन अब 16 वर्ष के बाद भी वे पात्र माने जाएंगे।

परिवारों के लिए बड़ी राहत

यह बदलाव खासतौर पर उन परिवारों के लिए राहत लेकर आया है जो कर्मचारी की आकस्मिक मृत्यु के बाद जीवनयापन को लेकर कठिनाई में होते हैं। दो साल पहले नौकरी मिलने का मतलब दो साल पहले आर्थिक स्थिरता, बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च और मानसिक शांति।

सरकार का संवेदनशील कदम

इस बदलाव से यह साफ है कि सरकार अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों के प्रति संवेदनशील है। यह सिर्फ एक नियम नहीं, बल्कि एक सामाजिक ज़िम्मेदारी के रूप में देखा जाना चाहिए।

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